नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ मामले में दर्जन अफसरों पर गिरी गाज
राज्य संवाददाता, दिल्ली (ओ पी श्रीवास्तव)। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में अठारह लोगों की मौत के प्रकरण में हर दिन नई बातें सामने आ रही हैं। जांच रिपोर्ट किसे जिम्मेदार ठहरायेगा उसे लेकर रेलवे कर्मचारियों के दिलों की धड़कनें तेज हो गई है। लेकिन माना जा रहा है कि इस मामले में करीब एक दर्जन रेल अधिकारियों पर गाज गिरने वालीं है। अब पता लगा है कि प्लेटफार्म नंबर 14-15 की जिन सीढ़ियों पर यह हादसा हुआ था, वहा लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज ही नहीं है। जब पुलिस ने इस कैमरे की फुटेज को चेक करना चाहा, तो पुलिस को सब खाली मिला।
जबकि अन्य सभी सीसीटीवी कैमरे की फुटेज उपलब्ध है। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि भगदड़ वाला मुख्य पॉइंट एक ही है। बाकी दो पॉइंट में एफ ओ बी (फुट ओवर ब्रिज) और प्लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी की बात कही गई है। फिलहाल पुलिस रेलवे के दो सदस्यों की जांच कमिटी की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। रिपोर्ट आते ही पुलिस एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश शुरू करेगी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हम रेलवे की जांच रिपोर्ट आते ही मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू करेंगे।
जांच कर रहे सूत्रों ने यह भी बताया कि 16 नम्बर प्लेटफॉर्म वाले नई दिल्ली स्टेशन पर सामान्य दिनों में आरपीएफ के करीब 260 जवान तैनात रहते हैं, लेकिन 15 फरवरी को यहां मात्र 80 जवान ही थे। सूत्रों का यह भी कहना है कि नई दिल्ली स्टेशन के लिहाज से 80 जवानों की संख्या बेहद कम है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्टेशन के तमाम एंट्री और एग्जिट पॉइंट के अलावा सभी प्लैटफॉर्म और अन्य जगहों पर कितने जवान तैनात किए गए हैं इसका आकलन किया जाना चाहिए था।
महाकुंभ के लिए भेजे गए कई जवान
सूत्रों का यह भी कहना है कि महाकुंभ के लिए कई स्टेशनों पर तैनात आरपीएफ के जवानों को वहां भेजा गया है। इस वजह से भी यहां आरपीएफ के जवानों की संख्या कुछ कम थी। जीआरपी के एक सूत्र ने बताया कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 208 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। दिल्ली पुलिस ने जब इसका सिक्योरिटी ऑडिट किया था, तब उसमें पाया था कि कम से कम कैमरों की संख्या यहां 500 होनी चाहिए। ऐसे में नई दिल्ली स्टेशन पर करीब 300 ब्लैक स्पॉट ऐसे हैं, जहां कैमरे लगाए जाने की तुरंत जरूरत है। सूत्रों ने बताया कि जो कैमरे लगे हैं। उनमें भी आए दिन कोई ना कोई खराब रहता है।
हादसे वाली रात प्लैटफॉर्म नंबर-14 पर सीढ़ियों को कवर करने वाला सीसीटीवी कैमरा भी खराब था। दिल्ली पुलिस को इस कैमरे से हादसे वाले दिन की कोई फुटेज नहीं मिली। पुलिस का कहना है कि अब हमें यह नहीं पता कि कैमरे से कोई छेड़छाड़ की गई है या फिर वह खराब था। लेकिन जांच करने पर हादसे वाले स्पॉट पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज नहीं मिली। अन्य कैमरों की फुटेज हमने देखी हैं। हादसे के बाद अब पूरे स्टेशन पर आरपीएफ ने भी अपने 80 जवानों की संख्या बढ़ाकर 250 कर दी है। वहीं, पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के भी करीब 350 जवान तैनात कर दिए है। एक प्राथमिक जांच रिपोर्ट सामने आई है।
इसमें भगदड़ का मुख्य कारण कुंभ स्पेशल ट्रेन का दो अलग-अलग प्लेटफॉर्म से घोषणा करना माना जा रहा है। आरपीएफ के एक इंस्पेक्टर ने अपनी प्राथमिक जांच में बताया है कि 15 फरवरी की रात करीब 8ः45 बजे जब एफ ओ बी-2 और 3 पर जमा भीड़ को क्लियर कराने का प्रयास किया जा रहा था। तभी घोषणा हुई कि प्रयागराज जाने वाली कुंभ स्पेशल प्लेटफॉर्म नम्बर 12 से जाएगी। इसके कुछ समय बाद ही स्टेशन पर फिर से यह घोषणा की गई कि कुंभ स्पेशल प्लेटफॉर्म-16 से जाएगी। इसके चलते यात्रियों में भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। जबकि उस समय प्लैटफॉर्म नंबर-14 पर मगध एक्सप्रेस और प्लेटफार्म नंबर-15 पर उत्तर संपर्क क्रांति खड़ी थी।
घोषणा सुनने के बाद यात्री प्लैटफॉर्म नंबर-12-13 और 14-15 से सीढ़ियों के रास्ते एफ ओ बी-2 पर चढ़ने का प्रयास करने लगे। मगध एक्सप्रेस, उत्तर संपर्क क्रांति और प्रयागराज एक्सप्रेस के यात्री भी सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे। इन सभी के बीच धक्का-मुक्की होने लगी और कुछ यात्री सीढ़ियों से फिसलकर गिरने लगे। उनके उपर से अन्य यात्री गुजर गए। यह सूचना सेक्टर इंचार्ज एएसआई धनेश्वर ने सीसीटीवी के माध्यम से रात 8ः48 बजे ऑन ड्यूटी स्टेशन अधीक्षक को दी। आरपीएफ की इस रिपोर्ट पर यकीन करें तो यह रेलवे के दावों से मेल नहीं खाती है। भगदड़ के मामले में रेलवे के ही विंग में दो अलग-अलग राय सामने आ रही हैं।
हादसे वाली रात पहले जहां रेलवे की तरफ से इस मामले को भगदड़ बताने से देर रात तक इनकार किया जाता रहा, वहीं बाद में बताया गया कि प्लैटफॉर्म बदलने से नहीं बल्कि 20-25 यात्रियों के कुंभ स्पेशल ट्रेन को प्लैटफॉर्म नंबर-14 से 12 पर जाकर पकड़ने की वजह रही। जिसमें सीढ़ियों पर बैठे लोगों पर एक महिला यात्री के सिर पर रखी पोटली गिरी। जिसके बाद भगदड़ मची। लेकिन आरपीएफ की शुरुआती रिपोर्ट प्लेटफॉर्म नंबर-12 और 16 से कुंभ स्पेशल ट्रेन के जाने की घोषणा करना दिखा रहा है। जिसे पकड़ने के लिए भगदड़ मची। फिलहाल सचाई क्या है? यह रेलवे की दो सदस्य जांच कमिटी की रिपोर्ट के बाद ही पता लग सकेगी। लेकिन क्या मुआवजा देने से रेलवे की जिम्मेदारी पूरी हो जाएगी या रेलवे में आमूलचूल बदलाव होगा यह यक्ष प्रश्न लोगों के जेहन में तैर रहा है।
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