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अफसरों की मनमानी के खिलाफ आशीष शुक्ल ने आमरण अनशन शुरू किया, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं का मिला समर्थन


अफसरों की मनमानी के खिलाफ आशीष शुक्ल ने आमरण अनशन शुरू किया, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं का मिला समर्थन

बस्ती, 18 जून। जनपद में गिरती कानून व्यवस्था, पुलिस, बिजली तथा राजस्व महकमों के अफसरों की लापरवाही के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता आशीष शुक्ल ने आज दिन में 12.00 बजे से शास्त्री चौक पर अपने समर्थकों के साथ आमरण अनशन शुरू कर दिया है। उन्होने कहा पीड़ित परिवारों को जब तक न्याय नही मिल जाता, आमरण अनशन जारी रहेगा। 



आपको बता दें घटिया दर्जे पर पहुंची जनपद की पुलिसिंग, पुलिस कप्तान की नाकामी और तमाम गंभीर अपराधों के चलते आम जनता गुस्से मे है। इन मामलों में पुलिस व राजस्व अधिकारियों की भूमिका अच्छी नही रही है। याद दिला दें पहला मामला नगर थाना क्षेत्र के खुटहन का है। यहां हाईटेंशन लाइन काफी नीचे से गुजर रही थी। इसकी चपेट में आकर लोहे की सीढ़ी लेकर जा रहे दो सगे भाइयों की मौत हो गई थी। इस मामले में न पीड़ित परिवार को कोई मुआवजा मिला और न ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही हुई। घटना को लेकर जिले में गम और गुस्सा दोनो है।


दूसरा मामला पैकोलिया का है। थानान्तर्गत जीतीपुर गांव में जमीनी विवाद को लेकर 12 साल की परी श्रीवास्तव की निर्मम हत्या कर दी गई। इसके अलावा उसके माता पिता समेत 3 लोगों को मारपीट कर अधमरा कर दिया गया। इसमे स्थानीय पुलिस की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध पाई गई। लोगों का कहना है कि पुलिस सतर्क रहती तो इतनी बड़ी घटना नही घटती। मांग है कि आरोपियों के खिलाफ कठोरतम धाराओं के तहत कार्यवाही हो। एसओ पैकोलिया पर आपराधिक गतिविधि में संलिप्त होने का मुकदमा दर्ज किया जाये।


तीसरा मामला शहर के मालवीय रोड पर बेशकीमती जमीन का है। दो पक्षों में जमीनी विवाद काफी गहरा गया। दोनो पक्ष जमीन को अपना बता रहा है। इसमे कब्जा करने पहुचे एक पक्ष ने दीवाल गिरा दिया। दोनो पक्ष फौजदारी पर आमादा हो गये। पुलिस की भूमिका इसमें भी संदिग्ध पाई गयी। मांग की जा रही है कि इस मामले में पुलिस के भूमिका की जांच हो और दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्यवाही हो।


चौथा मामला लालगंज थानान्तर्गत सिद्धनाथ गांव का है। यहां 4 साल की मासूम का रेप कर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई। घटना ऐसी थी की सुनने वालों का रूह कांप गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट हैरान करने वाली थी। कई जगह बच्ची की हड्डियां टूटी थीं, गला कसकर और रेतकर उसको मौत के घाट उतारा गया। एक महीना बीत गया पुलिस इस घटना का खुलासा नही कर पाई। गुनहगार को सामने लाने में नाकाम थानाध्यक्ष पर कोई कार्यवाही नही हुई। मांग है कि एसओ और बीट सिपाही के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाये।


पांचवा मामला शहर के कटेश्वर पार्क के निकट का है। यहां फुटपाथ पर मां के बगल सो रही 5 साल की मासूम संग दरिंदगी हुई। रात मे गायब हुई बच्ची सुबह रोती हुई मां के पास पहुंची। उसे निजी अंगों से ब्लीडिंग हो रही थी। इस हृदय विदारक घटना ने पिता को तोड़कर रख दिया। बेटी संग हुई अनहोनी बर्दाश्त नही कर पाया, उसने दम तोड़ दिया। ये घटना दो पुलिस चौकियों और कोतवाली के बीच हुई। पुलिस की गश्त और सक्रियता पर गंभीर प्रश्न खड़ा हुआ। इस मामले में भी जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही की मांग हो रही है। आमरण अनशन को सामाजिक कार्यकर्ताओं व पत्रकारों ने भी अपना समर्थन दिया है।


छठा मामला उभाई गांव का है जहां पुलिस की पिटाई से नाबालिग की मौत हो गई थी। मांग है कि जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही करते हुये सीडब्लूसी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाये। इन मामलों के अलावा आशीष शुक्ल ने कहा मोबाइल गायब होने की सूचना पर भी जनपद की पुलिस बगैर पैसा लिये मुहर नही लगाती। पुलिस जब चाह रही है किसी को भी बेइज्जत कर रही है। इस मनमानी पर रोक लगनी चाहिये। आशीष ने कहा लोकतंत्र है, किसी को मनमानी करने की दूट नही है। अफसर जनता के नौकर हैं न कि मालिक। जनता में भय व्याप्त रहेगा, हमेशा असुरक्षा की भावना रहेगी और अपनी जमीनों पर कब्जा करने के लिये जान देनी पड़ेगी तो लोकतंत्र के मायने खत्म हो जायेंगे। उन्होने कहा सकारात्मक निर्णय तक अनशन जारी रहेगा।


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