नाबालिगों का उत्पीड़न कर रही लालगंज पुलिस, CWC ने मांगा जवाब
बस्ती, 28 जून। बहुचर्चित सिद्धनाथ रेप व मर्डर केस का पुलिस डेढ़ महीने बाद भी खुलासा नही कर पाई। इस मामले में पुलिस डीएनए रिपोर्ट के इंतजार में है। दरअसल पुलिस की कई टीमे जब किसी नतीजे पर नही पुहंची तो ग्रामीणों की डीएनए जांच शुरू की, इसके लिये उनके सैम्पल लिये जाने लगे। इस बीच गांव के नाबालिग बच्चों को भी थाने पर बैठाकर रखा गया, उनसे पूछताछ की गई।
इस मामले को देर से ही सही लेकिन सीडब्लूसी ने स्वतः सज्ञान लिया। न्याय पीठ बाल ने लाल गंज थाना के ग्राम सिद्धनाथ मे नाबालिग बच्चों के साथ हो रहे पुलिसिया उत्पीड़न में मुकामी थानाध्यक्ष से कई विन्दुओं पर स्पष्टीकरण मांगने के साथ ही बच्चों से हो रही पूछ ताछ एवं रक्त सैम्पल लेने की कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाने का आदेश भी जारी किया है। बताते चले की उक्त गाँव मे एक 5 वर्षीय बच्ची के साथ रेप और उसके बाद हत्या की दुःखद घटना बीते माह मे हो चुकी है, पुलिस लाख कोशिशों के बावजूद घटना का राजफास करने मे सफल नही हो पा रही है।
इसी घटना के अनावरण के लिए पुलिस ने यह रास्ता अख्तियार किया है, पुलिस टीम की नजर मे गाँव का हर व्यक्ति संदिग्ध है, इसी क्रम मे पुलिस 10,12 वर्ष के बच्चों को भी थाना परिसर मे बुलाकर पूछ ताछ के साथ ही उनका रक्त सैम्पल भी संकलित करने मे लगी है,इस कार्यवाही को लेकर बच्चों के माता पिता लगातार विरोध कर रहे है, नाबालिक बच्चो के साथ हो रही इस प्रक्रिया के संज्ञान मे आने के बाद न्याय पीठ बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रेरक मिश्रा, सदस्य अजय कुमार श्रीवास्तव, डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, मंजू त्रिपाठी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाध्यक्ष लालगंज से मामले का स्पष्टीकरण मांगने के साथ ही, बच्चों से संबंधित इस प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने का आदेश जारी किया है।
पत्र मे कहा है की अब तक कितने बच्चो का इस प्रकार का टेस्ट किया गया है, उसकी सूची प्रस्तुत करें, किसके आदेश से यह प्रक्रिया अपनाई गई इस बिंदु पर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें, तथा इस प्रक्रिया मे शामिल किये गये बच्चों को मानसिक आघात से उबरने के लिए बच्चों की काउंसलिंग, परामर्श एवं पुनर्वास की सहायता उपलब्ध करायी जाय और इसकी जानकारी न्याय पीठ को उपलब्ध करायी जाय। इस संबंध मे पूछने पर अध्यक्ष प्रेरक मिश्रा ने कहा की मामला गंभीर है, इसकी गहनता से जाँच कर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की जायेगी, साथ ही मामले की जानकारी राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग, उत्तर प्रदेश बाल अधिकार आयोग को भी कार्यवाही के लिए लिखा जायेगा।
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