अशोक श्रीवास्तव की समीक्षाः ये क्या बोल गये एडीजी के. कृष्णन
बिहार में मर्डर का सीजन चल रहा है। बिहार की राजधानी पटना में इन दिनों बदमाशों का राज है। सुरक्षा व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है। अराजकता का ऐसा माहौल है कि बेखौफ बदमाशों ने पारस अस्पताल के आईसीयू वार्ड में घुसकर चंदन मिश्रा नाम के युवक की गोली मारकर हत्या कर दी। गुरुवार यानी 17 जुलाई को बिहार की राजधानी पटना में सुबह-सुबह हत्या की दो वारदातों को अंजाम देकर अपराधियों ने लॉ एंड ऑर्डर को खुलेआम चुनौती दी। सबसे पहले पटना से सटे दानापुर में एक हत्याकांड की खबर आई।
यहां बीस वर्षीय बंटी नाम के एक युवक को धारदार हथियार से काट दिया गया। मृतक की पहचान स्थानीय निवासी राकेश सिंह के पुत्र 20 वर्षीय शिवम उर्फ बंटी के रूप मे की गई है। आननफानन में पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंची। पुलिस अभी दानापुर हत्याकांड की जांच कर रही थी कि उसी वक्त दानापुर से कुछ ही दूर पटना के शास्त्रीनगर में पारस अस्पताल में मर्डर हो गया। यह पूरी घटना अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पुलिस के मुताबिक, चंदन मिश्रा बक्सर जिले में थाना औद्योगिक क्षेत्र के सोनबरसा गांव का रहने वाला है।
चंदन पर हत्या, लूट समेत करीब 2 दर्जन से अधिक संगीन मुकदमे दर्ज थे। बेऊर जेल में सजा काट रहा चंदन मिश्रा एक सर्जरी के लिये 15 दिन के पैरोल पर बाहर आया था। डिस्चार्ज होने से पहले ही गुरुवार सुबह करीब साढ़े सात बजे आईसीयू में घुसकर शूटरों ने उसे गोलियों से भून दिया। बिहार में पिछले दो साल से व्याप्त गुण्डई अराजकता ओर भ्रष्टाचार ने फिल्मों को भी पीछे छोड़ दिया है। आईसीयू में घुसकर किसी का मर्डर करना आपने फिल्मों में देखा होगा।
फिलहाल यह जितना आश्चर्यजनक है उससे कहीं ज्यादा आश्चर्यजनक बिहार के एडीजी कुंदन कृष्णन का बयान है। बिहार के नाराज किसान उनसे माफी मांगने को कह रहे हैं। यह बयान उस वक्त आया जब पत्रकारों ने पटना के पारस अस्पताल में चंदन मिश्रा पर दिनदहाड़े हुई फायरिंग को लेकर सवाल पूछे। बिहार पुलिस के एडीजी कुंदन कृष्णन ने बुधवार को बिहार में क्राइम को लेकर कहा कि अप्रैल, मई और जून में राज्य में अधिक हत्याएं होती रही हैं। पिछले कई सालों से यह ट्रेंड रहा है।
जब तक बरसात नहीं होती है, तब तक ये सिलसिला जारी रहता है। बिहार पुलिस के एडीजी कुंदन कृष्णन की मानें तो इस टाइम खेती नहीं होती है। किसान के पास काम नहीं होता है। ऐसे में वारदात हो जाती है। जब बरसात शुरू होती है तो किसान अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे में घटनाएं कम हो जाती हैं। एडीजी का कहना था, “हर साल अप्रैल, मई और जून में मर्डर बढ़ जाते हैं क्योंकि किसानों के पास काम नहीं होते हैं। आप सोच सकते हैं जिस देश में किसानों को अन्नदाता कहा जाता हो और देश की तरक्की के लिये जय जवान जय किसान का नारा दिया जाता हो वहां एक जिम्मेदार पद बैठे अफसर का यह बयान करोड़ों देशवासियों को कितना आहत कर सकता है।
photo ashok srivastav
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