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कायस्थ महासभा ने फिराक गोरखपुरी की जयंती पर बस्ती के शायर हरीश दरवेश को सम्मानित किया



कायस्थ महासभा ने फिराक गोरखपुरी की जयंती पर बस्ती के शायर हरीश दरवेश को सम्मानित किया

बस्ती, 29 अगस्त। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की बस्ती शाखा के द्वारा गुरूवार को रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत फिराक साहेब के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अध्यक्ष मयंक श्रीवास्तव एवं डॉक्टर वी के श्रीवास्तव ने आए हुए आगंतुकों का स्वागत किया।


सभा को संबंधित करते हुए मयंक श्रीवास्तव ने कहा कि फिराक बीसवीं सदी के महानतम शायर थे जिन्होंने गजल में ग़ालिब की परम्परा को आगे बढ़ाया। मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक परंपराओं को बाक़लम करने वालों में वे श्रेष्ठ, शायर थे। इनकी शायरी की लोकप्रियता से इन्हें उर्दू शायरी में ‘बाबा-ए-सुख़न’ का मक़ाम हासिल है। उर्दू गद्य-लेखन की नींव रखने के कारण इन्हें वर्तमान उर्दू गद्य का जन्मदाता भी कहा जाता है। 8 फरवरी 1921 को गोरखपुर स्थित बाले मियां के मैदान में महात्मा गांधी के भाषण से प्रभावित होकर फ़िराक़ ने डिप्टी कलेक्टर का ओहदा छोड़ दिया था और जंग ए आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।


अपनी विद्वता और मंत्रमुग्ध कर देने वाली भाषण कला से वे पंडित नेहरू के काफी निकट हो गए। बाद में यह निकटता ता-उम्र बनी रही। असहयोग आंदोलन के दौरान वे गिरफ्तार हुए और करीब डेढ़ वर्ष तक आगरा और लखनऊ के जेल में रहे। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी प्राध्यापक के रूप में सेवाएं प्रदान की। कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डाक्टर वी के श्रीवास्तव, सौरभ सिन्हा, विनय प्रकाश श्रीवास्तव, उमेश श्रीवास्तव सौरभ बसु एक बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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