नंदा बाबा की अंतिम यात्रा में उमड़े हजारों लोग, बस्ती में शोक की लहर
बस्ती, 05 नवम्बर। हिन्दुत्व के प्रखर ध्वजवाहक नंदा बाबा नही रहे। जानकारी मिली है कि गोरखपुर में इलाज कराने के बाद उन्हे बस्ती लाया जा रहा था, रास्ते में उन्होने अंतिम सांस ली। नंदा बाबा बस्ती जिले में हिन्दुओं के आइकान थे। उन्होने अपना समूचा जीवन हिन्दुत्व की रक्षा और धर्म प्रचार में समर्पित कर दिया। हिन्दू जनमानस उन पर गर्व करता है।
नंदा बाबा के बारे में कहा जाता है कि वे वर्षों से दक्षिण दरवाजा के निकट दुर्गापूजा का अनुष्ठान करते थे जिसे मन्नत की देवी नाम से जाना जाता है। उम्रदराज लोग बताते हैं है कि एक बार मुसलमानों का त्योहार और दुर्गापूजा बिलकुल एक ही समय पर था। नंदा बाबा ने मन्नत की देवी का जो गेट बनाया था उसकी ऊचांई इतनी थी कि ताजिया ले जाते समय टकराने की संभावना थी। नंदा बाबा गेट हटाने को बिलकुल तैयार नही थे, उनके हजारों समर्थक आरपार करने को तैयार थ, वहीं मुसलमान भी समझौते के मूड में नही थे। प्रशासन ने नंदा बाबा पर बहुत दबाव बनाया लेकिन वे नही झुके और बाद में मुसलमानों को ही समझोता करना पड़ा था।
ऐसे कई और मौके पर आये और हिन्दुओं का स्वाभिमान टकराया, नंदा बाबा ने जहां टांग अड़ा दिया वहां से एक इंच नही हिले। आज समूचा जनमानस उनके चले जाने से दुखी है। उनके निधन की खबर सुनकर समथ्रकों की भीड़ उमड़ पड़ी। नंदा बाबा अमर रहे के नारे गूंजने लगे। शहर में उनकी शव यात्रा निकाली गई। बड़ी संख्या में हिन्दू जनमानस नंदा बाबा को अंतिम विदाई देने सड़क पर उतरा। इससे नंदा बाबा के प्रति लोगों का लगाव साफ तौर पर दिखाई दिया। वे 1970 से लगातार दुर्गापूजा का आयोजन कर रहे थे। कोई उन्हे यशोदानंद, तो कोई देशबन्धु नंदानाथ तो कोई नंदा बाबा के नाम से जानते थे। करीब 84 वर्षीय नंदा बाबा संतकबीर नगर के फरेनियां गांव के रहने वाले थे, उनकी शादी नही हुई थी। तीन भाइयों में बीच के थे। नंदा बाबा के निधन से पूरे जिले में शोक की लहर है।





























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