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बुलडोजर एक्शनः सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 26 I.A.S.& I.P.S. के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज

बुलडोजर एक्शनः सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 26 I.A.S.& I.P.S. के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज
Bulldozer action: On the order of Supreme Court, case registered against 26 I.A.S. & I.P.S. under serious sections

GORAKHPUR, UP. सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद पुलिस ने महराजगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी समेत आईएएस और आईपीएस अधिकारियों, इंजीनियरों और ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज की है। कुल 26 लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में दर्ज एफआईआर की जांच सीबीसीआईडी करेगी। गैरकानूनी तरीके से मकान गिराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह सख्त आदेश दिया है। 


इस एफआईआर में आईपीसी की धारा 147, 166, 167, 323, 504, 506, 427, 452, 342, 336, 355, 420, 467, 468, 471 तथा इसमे 120 बी को भी जोड़ा गया है। यह धाराएं दस्तावेजों से छेड़छाड़, धोखाधड़ी, मारपीट, धमकी देने जैसे कई आरोपों से सम्बन्धित हैं। इन धाराओं में 10 साल की कैद और उम्रकैद जैसी कठोर सजा का भी प्रावधान है। 6 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सड़क विस्तार के लिए मकानों को गिराए जाने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए थे। यह आदेश महराजगंज में पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल का मकान गिराए जाने को लेकर दिया गया था। 


सुप्रीम कोर्ट ने पाया था कि 13 सितंबर 2019 को बिना जमीन का अधिग्रहण किए या नोटिस दिए अचानक टिबड़ेवाल का पुश्तैनी मकान तोड़ दिया गया था। यह सब इतनी जल्दी में किया गया कि पत्रकार का परिवार घर से सामान भी नहीं निकाल पाया था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपए के अंतरिम मुआवजे के साथ ही यूपी सरकार को यह आदेश भी दिया था कि वह गैरकानूनी कार्रवाई करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एक महीने में विभागीय कारवाई करने के साथ ही उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराये। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 30 दिसंबर को महराजगंज कोतवाली थाने में यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी ने एफआईआर दर्ज करवाई है।


यह एफआईआर आईएएस और पीसीएस अधिकारियों, एनएचआई और पीडब्लूडी के इंजीनियरों, नगर पालिका के अधिकारी, पुलिस इंस्पेक्टरों, सब- इंस्पेक्टरों, एलआईयू इंस्पेक्टरों और ठेकेदारों समेत 26 के खिलाफ दर्ज हुई है। जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है उनमें महराजगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय, तत्कालीन एसडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल भी शामिल हैं। इसे कहते हैं कानून की ताकत जिसे योगी सरकार बिलकुल नही मानती। जब सत्ता का घमंड सिर चढ़कर नाचने लगता है तो कानून सारा घमंड चकनाचूर कर देती है। लेकिन यह उसके लिये है जिसके लिये संविधान एक मन्दिर और उसमे लिखा एक एक कानून किसी देवता से कम नही है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला अवैध रूप से मकान पर बुलडोजर चलवाने वाले अधिकारियों के मुह पर ऐसी कालिख है जो कभी नही मिटेगी। फोटो प्रतीकात्मक

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