राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने वास्तव में हमारी शिक्षा के परिदृश्य को बदल दियाः उप राष्ट्रपति
गौतम बुद्धनगर, संवाददाता (ओ पी श्रीवास्तव)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनगर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने वास्तव में हमारी शिक्षा के परिदृश्य को बदल दिया है। वे देश भर के विश्वविद्यालय के कुलपतियों के एक सम्मेलन को नोएडा में संबोधित कर रहे थे।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा समानता लाने वाला है और यह ऐसी समानता लाता है जैसा कोई अन्य तंत्र नहीं करता है, शिक्षा असमानताओं को खत्म करती है और लोकतंत्र को जीवन देती है। उप राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए कहा कि मैं उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री को बधाई देता हूं, जिन्होंने आईटी को उद्योग का दर्जा देकर एक बड़ी पहल की है, जिसका सकारात्मक विकास पर बहुत बड़ा असर पड़ा है। एक और पहलू जिसके लिए यूपी को तेजी से पहचान मिल रही है, वह है स्कूली शिक्षा के स्तर पर, प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही एक पहचान बन रही है।
भारत अवसरों, उद्यमिता, स्टार्टअप, नवाचार और यूनिकॉर्न की भूमि के रूप में उभरा है। हर उस पैरामीटर पर जहां विकास और वृद्धि को मापा जा सकता है, हम आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालयों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि हमारे विश्वविद्यालय केवल डिग्री देने के लिए नहीं हैं, बल्कि डिग्री का बहुत महत्व होना चाहिए। विश्वविद्यालयों को विचारों और कल्पना के अभयारण्य, नवाचार के केंद्र होने चाहिए। उन्हें बड़े बदलाव को गति देनी होगी और यह जिम्मेदारी विशेष रूप से कुलपतियों और सामान्य रूप से शिक्षाविदों की है। असहमति, बहस, संवाद और चर्चा के लिए जगह होनी चाहिए, इसी तरह से दिमाग की कोशिकाएं सक्रिय होती हैं। अभिव्यक्ति वाद विवाद, अनंत वाद, हमारी सभ्यता, हमारे लोकतंत्र के अभिन्न पहलू हैं।
भारत के उपराष्ट्रपति ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि मै आज कुलपतियों और शिक्षाविदों के सामने खड़े होकर एक छात्र की तरह महसूस कर रहा हूं। एमिटी विश्वविद्यालय एक महान संस्थान है, जिसने वैश्विक मान्यता प्राप्त की है। मैं एआईयू को इसकी स्थापना के 99 वर्ष पूरे करने पर हार्दिक बधाई देता हूं। आज का दिन हमारे राष्ट्र के इतिहास का एक महान दिन है क्योंकि आज डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘‘बलिदान दिवस’’ है, जो धरती के बलिदानी सपूतों में से एक थे, जिन्होंने 1952 में जम्मू और कश्मीर राज्य में अभियान के दौरान - एक विधान, एक निशान और एक प्रधान का नारा दिया था।
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने वास्तव में हमारी शिक्षा को ऊंचाईयों पर पहुंचाया है। उन्होंने उभरते क्षेत्रों में नेतृत्व स्थापित करने के आह्वान के साथ अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जलवायु परिवर्तन, जलवायु प्रौद्योगिकी, क्वांटम विज्ञान, डिजिटल नैतिकता जैसे उभरते क्षेत्रों में बेजोड़ उत्कृष्टता के संस्थान स्थापित करें, जब भारत नेतृत्व करेगा, तो अन्य लोग उसका अनुसरण करेंगे। शिक्षा केवल सार्वजनिक भलाई के लिए नहीं है यह हमारी सबसे रणनीतिक राष्ट्रीय संपत्ति है। असंभव विकल्प हमारे चरित्र और ताकत को परिभाषित करते हैं, और हमें आसान रास्ता नहीं अपनाना चाहिए।
भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के अध्यक्ष डा0 विनय कुमार पाठक ने कहा कि 2014 के बाद से शिक्षा बजट दोगुना से भी अधिक हो गया है, जो 68,700 करोड़ से बढ़कर 1.48 लाख करोड़ के करीब हो गया है। उपराष्ट्रपति ने एमिटी विश्वविद्यालय में ‘‘एक पेड़ माँ के नाम’’ पहल के तहत एक पौधा लगाया। उद्घाटन सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री सुनील कुमार शर्मा, एआईयू की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे।
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