समीक्षाः विधानसभा चुनाव में डा. आलोक पेश कर सकते हैं मजबूत दावेदारी Review: Dr. Alok can present a strong claim in the assembly elections
पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि के 2027 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अच्छी संख्या में सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बस्ती आगमन पर आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन व संवाद में पूर्व विधायक अंबिका सिंह ने अपने भाषण में स्पष्ट कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता गठबंधन के कारण निराश हो जाते हैं। यदि 2027 में गठबंधन होता है तो प्रत्येक मंडल में कम से कम एक सीट कांग्रेस को मिलना चाहिये। यह प्रस्ताव पार्टी नेतृत्व तक पहुंच चुका है। अल्पसंख्यक, ब्राम्हण, दलित गठजोड़ के साथ ही कांग्रेस नेतृत्व पिछड़ा वर्ग को जोड़ने की दिशा में प्रयत्नशील है।
इसी कड़ी में डा. आलोक वर्मा ने सैकड़ो समर्थकों के साथ कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर लिया। डा. आलोक रंजन ने बताया कि वे कांग्रेस में आकर जन सेवा को और अधिक व्यापक आधार दे पायेंगे। सेवा ही उनके जीवन का मूल मंत्र है। कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ‘ज्ञानू’ और पार्टी के वरिष्ठ जनों के मार्ग दर्शन में पार्टी उन्हें जो भी दायित्व सौंपेगी उसे निष्ठा से पूरा करेंगे। डा. आलोक ने कहा कि वे पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से काफी प्रभावित हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नीति, कार्यक्रम उन्हें हृदय से प्रभावित करते हैं। पार्टी नेतृत्व के दिशा निर्देश के अनुरूप वे पूरी ताकत झोंक देंगे।
कर सकते हैं मजबूत दावेदारी
माना जा रहा है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में डा. आलोक रंजन कांग्रेस पार्टी से मजबूज दावेदारी पेश कर सकते हैं। बस्ती सदर विधासभा सीट कांग्रेस के लिये मुफीद रही है। डा. आलोक को 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर 36429 वांट मिले थे। जो कुल वोटों का 16.86 प्रतिशत था। हालांकि वे तीसरे नम्बर पर आकर चुनाव हार गये थे। 2022 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने लड़ा था, उन्हे महज 4105 यानी 1.9 प्रतिशत वोट मिले थे। 2017 का चुनाव कांग्रेस और सपा ने मिलकर लड़ा था। महेन्द्रनाथ यादव साझा उम्म्ीदवार थे, उन्हे 50,103 वोट यानी 24.25 प्रतिशत वोट मिले थे।
2012 में कांग्रेस के टिकट पर जगदम्बिका पाल के सुपुत्र अभिषेक पाल चुनाव लड़े थे, हार गये। उन्हे 34008 यानी 19 प्रतिशत वोट मिले थे। यह वह दौर था जब 2007 में चुनाव हारने के बाद जगदम्बिका पाल ने डुमरियागंज लोकसभा सीट को अपनी कर्मभूमि बना लिया था। उन्होने अपने बेटे अभिषेक पाल को अपनी विरासत सौंपने का मन बनाया और कांग्रेस हाईकमान से नजदीकियों के चलते उन्हे टिकट दिला पाये। हालांकि ये जनता को मंजूर नही था। 2007 में जगदम्बिका पाल को कुल 27478 वोट मिले थे। उस वक्त तक बस्ती की जनता पाल को नकारने लगी थी। इससे पहले जगदम्बिका पाल कांग्रेस के टिकट पर 1993, 1996 और 2002 का चुनाव जीतकर यहां से तीन बार विधानसभा पहुच चुके थे।
बस्ती सदर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में 1980, 85 में इंदिरा गांधी की करीबी कही जाने वाली अलमेलू अम्माल ने जीत का परचम फहराया था। 1974 में श्यामा देवी यहां से कांग्रेस की विधायक रहीं। 1991 में जयप्रकाश गुप्ता चुनाव लड़े और हार गये। कुल मिलोकर देखा जाये तो 1974 से अब तक 10 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं जिसमे 5 बार कांग्रेस के विधायक जीते हैं। अब डा. आलोक रंजन वर्मा के कांग्रेस में शामिल होने के बाद नये राजनीतिक समीकरणों पर बहंस शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि कांग्रेस के हिस्से में सदर विधानसभा की सीट आती है तो डा. आलोक मजबूत दावेदारी पेश करेंगे। आलोक मजे हुये नेता नही हैं लेकिन जिस वर्ग से आते हैं और उनके पिता की समाजसेवा, चिकित्सा, साहित्य के क्षेत्र में जो योगदान है उसे देखते हुये उनकी सफलता फिलहाल चौंकाने वाली नही होगी। कन्टेन्ट राइटर अशोक श्रीवास्तव